Wednesday, April 4, 2012

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गोते लगाता फिरू, ठोकरे खाता फिरू !
कहू क्या किसी से मैं, जब खुद ही से नज़र चुराता फिरू !!
अपने को पाने में ही, हर कदम पर हूँ भटकता !
अपनी ही शिकायते, ए खुदा, मैं किससे करू !!

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