होली है
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आ गया रंगों का त्यौहार,
हम सब को नचाने को |
साल में आता है एक बार,
दिल से दिल को मिलाने को ||
अलग ही मस्ती है इसकी,
अलग है इस दिन की बोली |
सब कुछ करने की छूट है,
क्योंकि आई है होली ||
सब हो गए मतवाले,
खुद ही रंग जाने को |
आ गया रंगों का त्यौहार,
हम सब को नचाने को ||
सबके हाथ में रंग है,
सबके पास में रंग हैं |
भांग के नशे में आज,
सब हो गए बेढंग हैं ||
दुश्मन भी घूम रहे,
आपस में गले मिल जाने को |
आ गया रंगों का त्यौहार,
हम सब को नचाने को ||
ये है रंगों का मौसम,
हवा में उड़ती बहे गुलाल |
बच्चों के हाथ में पिचकारी,
युवा खोजे गोरी के गाल ||
हर गोरी भी तैयार है आज,
रंग से नहाने को |
आ गया रंगों का त्यौहार,
हम सब को नचाने को ||
-- उत्तम उपमन्यु
Sahi hai guru...tum to kavi ho gaye!!!
ReplyDeleteBadiya hai Lage raho!!
Thanks Hemant :)
ReplyDeletebehatreen kavita, Yuva hridaya ki abhilashaon ka sajeev chitran kiya gaya hai kavita me....
ReplyDeleteहर गोरी भी तैयार है आज,
ReplyDeleteरंग से नहाने को |
आ गया रंगों का त्यौहार,
हम सब को नचाने को ||
sarvottam, kavita to achchi hai bas uper wala part thoda chubh raha hai :)
bahut badiya kavita hai bhai........
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