हर देशवासी निकला है .. अब नींद से वो जागा है..
अन्ना ने आगाज किया, एक नए युग की ये सागा है..
हर जन, चाहे हो बूढ़ा बच्चा, सबने की शुरुआत है..
उमड़ा है जन सैलाब , सब मिल गए अब हाथ हैं
कितना रोये और कितना ढोया, टूटा अब ये बाँध है..
नयी क्रांति का फूंका बिगुल है, सब लगता अब आसान है..
प्रकाश की ये किरण दिखी है, राहत की इक उम्मीद है
हर देशवासी साथ है आज, जन की पहली ये जीत है..
रुका पड़ा था .. थमा जड़ा था.. घूम गया ये चक्र है..
सब खड़े साथ.. सब उठे हाथ.. हर चेहरे पे अब फक्र है..
चली हवा अन्ना की.. चल गयी आज इक आंधी है..
आजादी तो मिलनी है.. साथ हमारे भी गाँधी है..
अन्ना ने आगाज किया, एक नए युग की ये सागा है..
हर जन, चाहे हो बूढ़ा बच्चा, सबने की शुरुआत है..
उमड़ा है जन सैलाब , सब मिल गए अब हाथ हैं
कितना रोये और कितना ढोया, टूटा अब ये बाँध है..
नयी क्रांति का फूंका बिगुल है, सब लगता अब आसान है..
प्रकाश की ये किरण दिखी है, राहत की इक उम्मीद है
हर देशवासी साथ है आज, जन की पहली ये जीत है..
रुका पड़ा था .. थमा जड़ा था.. घूम गया ये चक्र है..
सब खड़े साथ.. सब उठे हाथ.. हर चेहरे पे अब फक्र है..
चली हवा अन्ना की.. चल गयी आज इक आंधी है..
आजादी तो मिलनी है.. साथ हमारे भी गाँधी है..

